बुधवार, 21 अगस्त 2024

Creamy And Non Creamy Layer: OBC certificate आरक्षण प्रणाली में सुधार एक बार आरक्षण लाभ लेने के बाद सामान्य वर्ग में शामिल करने की आवश्यकता

क्रीमी और नॉन-क्रीमी लेयर: OBC आरक्षण प्रणाली में सुधार की आवश्यकता

Creamy And Non Creamy Layer:  OBC आरक्षण प्रणाली में सुधार एक बार आरक्षण लाभ लेने के बाद सामान्य वर्ग में शामिल करने की आवश्यकता


क्रीमी लेयर और नॉन-क्रीमी लेयर: ओबीसी आरक्षण की समझ

भारत में सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को दूर करने के लिए, सरकार ने आरक्षण प्रणाली लागू की है। इसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को भी आरक्षण का लाभ मिलता है। लेकिन OBC आरक्षण के भीतर भी 'क्रीमी लेयर' और 'नॉन-क्रीमी लेयर' की अवधारणा है। आइए समझते हैं कि क्रीमी लेयर और नॉन-क्रीमी लेयर का मतलब क्या है और यह UPSC जैसी परीक्षाओं में कैसे लागू होता है।

क्रीमी लेयर क्या है? (OBC Creamy Layer Means)

क्रीमी लेयर उस OBC वर्ग को दर्शाता है जो आर्थिक रूप से सशक्त हो चुका है और जिसे आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। इसमें वे लोग आते हैं जिनकी वार्षिक आय एक निश्चित सीमा से अधिक होती है। वर्तमान में, यह सीमा ₹8 लाख प्रति वर्ष है। इसके अलावा, सरकारी उच्च पदों पर कार्यरत OBC व्यक्तियों के परिवार भी क्रीमी लेयर में आते हैं।

नॉन-क्रीमी लेयर क्या है? (OBC Non-Creamy Layer Means)

नॉन-क्रीमी लेयर में वे OBC व्यक्ति आते हैं जिनकी वार्षिक आय ₹8 लाख से कम है। इन्हें ही आरक्षण का लाभ मिलता है। नॉन-क्रीमी लेयर का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आगे बढ़ाना है, ताकि वे भी मुख्यधारा में शामिल हो सकें।

नॉन-क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट (Non-Creamy Layer Certificate for OBC)

नॉन-क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट एक ऐसा दस्तावेज़ है जो यह प्रमाणित करता है कि संबंधित व्यक्ति OBC नॉन-क्रीमी लेयर से है। इस सर्टिफिकेट के बिना आरक्षण का लाभ नहीं लिया जा सकता। इसे राज्य या केंद्र सरकार द्वारा जारी किया जाता है और यह विभिन्न सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आवश्यक होता है।

UPSC और क्रीमी लेयर (Creamy Layer UPSC)

UPSC जैसी परीक्षाओं में OBC आरक्षण का लाभ केवल नॉन-क्रीमी लेयर श्रेणी के उम्मीदवारों को मिलता है। क्रीमी लेयर में आने वाले उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी के बराबर माना जाता है और उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाता।

क्रीमी लेयर में शामिल होने के मापदंड

क्रीमी लेयर में शामिल होने के लिए निम्नलिखित मापदंड देखे जाते हैं:

  • वार्षिक आय ₹8 लाख से अधिक हो।
  • माता-पिता का सरकारी उच्च पदों पर कार्यरत होना।
  • उच्च शिक्षा और संपत्ति का स्तर।

क्रीमी लेयर और नॉन-क्रीमी लेयर का निर्धारण: नियम और प्रक्रिया

1. आय सीमा (Income Criteria)

क्रीमी लेयर और नॉन-क्रीमी लेयर के बीच सबसे महत्वपूर्ण विभाजन आय के आधार पर होता है। वर्तमान में, क्रीमी लेयर की आय सीमा ₹8 लाख प्रति वर्ष है। इसका मतलब यह है कि यदि किसी व्यक्ति या उसके माता-पिता की वार्षिक आय ₹8 लाख से अधिक है, तो वह क्रीमी लेयर में आता है। यह आय सीमा केवल वेतन, व्यापार या पेशे से होने वाली आय पर लागू होती है, और कृषि आय को इसमें शामिल नहीं किया जाता।

2. पद और सेवाएँ (Position and Services)

क्रीमी लेयर की पहचान करने में सरकारी सेवा में माता-पिता के पद का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। निम्नलिखित पदों पर कार्यरत व्यक्ति क्रीमी लेयर में आते हैं:

  • समूह 'A' और समूह 'B' सेवाओं में कार्यरत अधिकारी।
  • सेना, नौसेना, वायुसेना के अधिकारी, जिनका रैंक कर्नल या उससे ऊपर है।
  • उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीश और सिविल सेवाओं के उच्च अधिकारी।

3. पारिवारिक संपत्ति (Family Wealth)

कभी-कभी, पारिवारिक संपत्ति और सामाजिक स्थिति भी क्रीमी लेयर का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण होती है। जो परिवार उच्च संपत्ति और प्रभावशाली सामाजिक स्थिति रखते हैं, वे क्रीमी लेयर में आते हैं, भले ही उनकी आय ₹8 लाख से कम हो।

नॉन-क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट के लिए आवेदन (Application for Non-Creamy Layer Certificate)

यदि कोई व्यक्ति नॉन-क्रीमी लेयर में आता है, तो उसे नॉन-क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए आवेदन करना होता है। यह सर्टिफिकेट निम्नलिखित प्रक्रियाओं से होकर मिलता है:

  1. आवेदन पत्र भरना: व्यक्ति को निर्धारित फॉर्म में आवेदन पत्र भरना होता है, जिसमें उसकी व्यक्तिगत जानकारी, पारिवारिक आय, और माता-पिता की नौकरी की जानकारी होती है।

  2. दस्तावेज़ संलग्न करना: आवेदन पत्र के साथ, आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, माता-पिता की नौकरी का प्रमाण पत्र, और अन्य आवश्यक दस्तावेज़ संलग्न करना होता है।

  3. प्रमाणन और सत्यापन: आवेदन पत्र और दस्तावेज़ों को संबंधित तहसीलदार, एसडीएम, या अन्य सक्षम अधिकारी द्वारा सत्यापित किया जाता है। यदि सभी जानकारी सही पाई जाती है, तो नॉन-क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट जारी किया जाता है।

नॉन-क्रीमी लेयर की आय सीमा में कौन सी आय शामिल होती है?

नॉन-क्रीमी लेयर के लिए निर्धारित आय सीमा में केवल आवेदक के माता-पिता की आय को ही शामिल किया जाता है। आवेदक की अपनी आय को इस सीमा में नहीं जोड़ा जाता। इसका मतलब है कि यदि आवेदक की आय चाहे कितनी भी हो, उसे नॉन-क्रीमी लेयर की आय सीमा में शामिल नहीं किया जाएगा।

इस नीति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि OBC आरक्षण का लाभ केवल उन लोगों को मिले, जिनके माता-पिता आर्थिक रूप से कमजोर हैं। यदि आवेदक के माता-पिता की आय ₹8 लाख प्रति वर्ष से कम है, तो वह नॉन-क्रीमी लेयर श्रेणी में आता है, भले ही उसकी अपनी आय कितनी भी हो।

यदि आवेदक के पिता सरकारी पद पर हैं और स्वयं आवेदक भी प्रथम श्रेणी के अधिकारी पद पर है, तो क्रीमी लेयर श्रेणी को कैसे परिभाषित किया जाता है? क्या आवेदक और उनके माता-पिता दोनों की आय को मिलाकर देखा जाता है?

भारत में क्रीमी लेयर की परिभाषा मुख्य रूप से आवेदक के माता-पिता की स्थिति पर आधारित होती है। यदि आवेदक के माता-पिता में से कोई भी सरकारी सेवा में प्रथम श्रेणी के अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं, तो वे क्रीमी लेयर में आते हैं, चाहे उनकी आय कितनी भी हो।

आवेदक की अपनी आय केवल तभी देखी जाती है जब वह 40 वर्ष से कम आयु का हो और उसने स्वयं को स्वतंत्र रूप से स्थापित कर लिया हो। ऐसे मामलों में, आवेदक की आय और उसके माता-पिता की आय को मिलाकर नहीं देखा जाता, बल्कि माता-पिता की सेवा और पद को प्राथमिकता दी जाती है।

सरल शब्दों में, अगर आवेदक और उसके माता-पिता दोनों सरकारी सेवा में प्रथम श्रेणी के अधिकारी हैं, तो इस स्थिति में क्रीमी लेयर का निर्धारण केवल माता-पिता के पद और सेवा के आधार पर किया जाता है, न कि उनकी या आवेदक की आय को मिलाकर।

ओबीसी आरक्षण में मुख्य सुधार के सुझाव:

  1. सरकार को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आरक्षण का लाभ केवल एक बार ही मिलना चाहिए। उदाहरण के लिए, किसी भी माता-पिता या परिवार को एक बार आरक्षण का लाभ मिल जाने के बाद, उसी परिवार को दोबारा यह लाभ नहीं मिलना चाहिए। यदि किसी माता-पिता के दो संतान हैं और एक संतान को पहले आरक्षण का लाभ मिल चुका है, तो उसी परिवार के अन्य सदस्यों, जैसे कि दूसरे बच्चे, पत्नी, पोते-पोतियों आदि को दोबारा आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए।

  2. आरक्षण का लाभ केवल एक परीक्षा के लिए ही सीमित होना चाहिए। यदि किसी अभ्यर्थी ने एक भर्ती परीक्षा में आरक्षण का लाभ ले लिया है, तो उसे बार-बार यह सुविधा नहीं मिलनी चाहिए। इससे आरक्षण की प्रक्रिया में पारदर्शिता और समानता बनी रहेगी और इससे अधिक से अधिक योग्य उम्मीदवारों को अवसर मिल सकेगा।

  3. सरकार को यह भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आरक्षण के लिए जो आय सीमा निर्धारित की जाती है, उसे सही और उचित तरीके से परिभाषित किया जाए। उदाहरण के लिए, वर्तमान में नॉन-क्रीमी लेयर के लिए सरकार द्वारा निर्धारित आय सीमा 8 लाख रुपये से कम है। सरकार को यह ध्यान में रखना चाहिए कि भारत की प्रति व्यक्ति आय क्या है और उसके अनुसार आय सीमा को निर्धारित किया जाना चाहिए।

    भारत में अधिकांश लोगों की मासिक आय 8,000 से 15,000 रुपये के बीच होती है, जो कि वार्षिक रूप से लगभग 1 लाख से 2 लाख रुपये होती है। इस वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए आय सीमा को पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता है, ताकि आरक्षण का लाभ सही मायने में उन लोगों तक पहुंचे जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।

  4. सरकार को यह सख्ती से लागू करना चाहिए कि यदि कोई उम्मीदवार एक बार आरक्षण का लाभ लेकर किसी पद के लिए नौकरी प्राप्त कर चुका है, तो उसे आरक्षण की सीमा से बाहर कर दिया जाना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि वह बार-बार परीक्षा देकर पहली नौकरी को छोड़कर फिर से आरक्षण का लाभ ले रहा हो।

    यदि किसी उम्मीदवार ने आरक्षण के माध्यम से एक बार सेवा प्राप्त कर ली है, तो उसे अगली बार से सामान्य वर्ग (जनरल कैटेगरी) में शामिल किया जाना चाहिए। इस नियम से आरक्षण का वास्तविक लाभ उन उम्मीदवारों को मिल सकेगा, जिन्हें इसकी अधिक आवश्यकता है, और यह प्रक्रिया अधिक न्यायसंगत और पारदर्शी बनेगी।

निष्कर्ष

क्रीमी लेयर और नॉन-क्रीमी लेयर की अवधारणा OBC आरक्षण प्रणाली को और भी न्यायसंगत बनाने के लिए बनाई गई है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल वे लोग जो वास्तव में जरूरतमंद हैं, उन्हें आरक्षण का लाभ मिल सके। UPSC जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी इस अवधारणा का महत्वपूर्ण स्थान है

Faq:

क्रीमी लेयर और नॉन-क्रीमी लेयर में क्या अंतर है?

उत्तर: क्रीमी लेयर और नॉन-क्रीमी लेयर OBC आरक्षण के भीतर की श्रेणियाँ हैं। क्रीमी लेयर में वे OBC व्यक्ति आते हैं जिनकी वार्षिक आय ₹8 लाख से अधिक है और जो आर्थिक रूप से सक्षम हैं। इन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलता। नॉन-क्रीमी लेयर में वे OBC व्यक्ति आते हैं जिनकी वार्षिक आय ₹8 लाख से कम है और इन्हें आरक्षण का लाभ मिलता है।

क्रीमी लेयर OBC से कौन संबंधित है?

उत्तर: क्रीमी लेयर OBC में वे लोग आते हैं जिनकी वार्षिक आय ₹8 लाख से अधिक होती है। इसके अलावा, सरकारी उच्च पदों पर कार्यरत OBC अधिकारी, और उच्च संपत्ति वाले OBC व्यक्ति भी क्रीमी लेयर में आते हैं।

OBC में नॉन-क्रीमी लेयर जाति क्या है?

उत्तर: OBC में नॉन-क्रीमी लेयर जाति वे हैं जिनकी वार्षिक आय ₹8 लाख से कम होती है। इन जातियों को आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ा माना जाता है और इन्हें आरक्षण का लाभ दिया जाता है।

क्रीमी लेयर OBC से संबंधित कौन है?

उत्तर: क्रीमी लेयर OBC से संबंधित वे लोग हैं जो आर्थिक रूप से सक्षम हैं, जिनकी आय ₹8 लाख से अधिक है, या जिनके माता-पिता सरकारी उच्च पदों पर कार्यरत हैं। ऐसे लोग आरक्षण का लाभ नहीं ले सकते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Top Ad

Your Ad Spot